लखनऊ: वाराणसी के रहने वाले मिलन मौर्या कड़कड़ाती ठण्ड में 21 जनवरी को अपने घर से लखनऊ के लिए निकले। उन्हें राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने अयोध्‍या नहीं जाना था, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी में 23 जनवरी को शुरू हुई इजरायल के लिए भर्ती परीक्षा में हिस्सा लेना था।

मिलन, जिनकी उम्र लगभग 30 वर्ष के बीच है, भर्ती अभियान में भाग लेने के लिए 23 जनवरी को लखनऊ में पंजीकरण करवाकर टेस्ट देते हैं और अब अपने चयन होने का इंतजार कर रहे हैं। “मैंने पहले कुछ समय तक मलेशिया में निर्माण उद्योग में काम क‍िया। इजरायल जाने की एक मात्र वजह पैसा है।”

क्‍या आप वहां की स्‍थ‍ित‍ि के बारे में जानते हैं, “हां, जानता हूं क‍ि वहां खतरा है। लेकिन मेरी महत्वाकांक्षाएं हैं। मैं अपने पर‍िवार का अच्‍छे से भरण-पोषण करना चाहता हूं।” मिलन अब को अब पर‍िणाम का इंतजार है।

इंडियास्पेंड हिंदी की टीम ने लखनऊ के अलीगंज आईटीआई सेंटर पर भर्ती प्रक्र‍िया में भाग लेने आए 10 से ज्‍यादा उम्‍मीदवारों से बात की। इनमें से ज्यादातर लोगों ने प्रमुखता से स्‍वीकार क‍िया क‍ि देश में कम रोजगार और अच्‍छा पैसा देखते हुए वे इजरायल जाना चाहते हैं। यह जानते हुए भी कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पिछले कुछ महीनों से युद्ध चल रहा है। केंद्र पर प्रत‍िद‍िन सैकड़ों की संख्‍या में लोग पहुंच रहे हैं। लखनऊ के इस सेंटर पर ये प्रक्रिया 23 से शुरू हुई जो 30 जनवरी तक चलेगी।

इस भर्ती प्रक्रिया को भारत सरकार की एजेंसी एनएसडीसी इंटरनेशनलएल और पीआईबीए करवा रही है। इस भर्ती अभियान का लक्ष्य युद्धग्रस्त इजरायल के लिए निर्माण उद्योग में काम करने वाले कम से कम 80,000 कुशल श्रमिकों का चयन करना है। हरियाणा के बाद उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का स्‍कि‍ल टेस्‍ट आयोजित किए जा रहे हैं।

मिलन अकेले नहीं हैं जो इस कड़ाके की ठंड में यात्रा करके लखनऊ पहुंचे। पश्चिम बंगाल, केरल और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों से भी लोग यहाँ इस वाक इन इंटरव्‍यू और परीक्षा में शामिल होने के लिए पहुंचे।

“मैं पहले दुबई में राजमिस्त्री के रूप में काम करता था और अब इस विज्ञापन को देखने के बाद मैंने इसे आजमाने के बारे में सोचा। जब इजरायल सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे हमें सुरक्षा प्रदान करेंगे तो ज्‍यादा पैसा कमाने में कोई बुराई नहीं है, ”उत्तर प्रदेश के देवरिया के निवासी विकास निषाद कहते हैं।

लखनऊ पहुंचे इजरायल सरकार के निजी सलाहकार बेनी अहरोन ने इंडियास्पेंड को बताया, "हम यहां इसलिए आए हैं क्‍योंक‍ि हमारे देश में श्रम‍िकों की बहुत कमी है। ऐसे में हम चाहते हैं क‍ि लोग भारत से इजरायल आएं, प्‍यार करें और पैसा कमाएं। वहां करने के लिए बहुत कुछ है।"

"हमने कल (23 जनवरी) शुरू क‍िया था, जहां सैकड़ों लोग आए थे। आज हम देरी से आए। हम यहां टेस्‍ट ले रहे हैं। जो लोग पास होंगे, उन्‍हें हम काम के लिए अपने देश ले जाएंगे। हमारे देश में निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में उन्‍होंने मुझे यहां श्रम‍िक लाने के लिए भेजा है। हम भारत के चार क्षेत्रों से लोगों को ले जाएंगे। पहले चरण में हम हर‍ियाणा गये थे जहां से हमने 20% लोगों का चयन क‍िया। ये लोग कई दूसरे देशों में काम कर चुके हैं। उन्‍हें काम की अच्‍छी जानकारी है और उन्‍हें अंग्रेजी भी आती है। वे बहुत तेजी से सीखते हैं। हमें भारत से 80 हजार श्रमिक चाह‍िए।” बड़ी संख्या में टेस्‍ट देने आए लोगों को देखकर खुश होते हुए बेनी कहते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के अनुसार दिसंबर में भारत की कुल बेरोजगारी दर 8.65% थी। 20-24 आयु वर्ग के लिए यह दर 44% थी। उद्योग संगठनों के एक समूह, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) ने भर्ती की निंदा की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से इज़रायल से इसे बंद करने की अपील की है। “सीआईटीयू भारतीय श्रमिकों से अपील करती है कि वे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के उकसावे का शिकार न बने और नौकरियों के वहां ना जाएं क्‍योंक‍ि इजरायल एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र है और इनकी सरकार हजारों फिलिस्तीनियों को काम करने से रोक रही है।” सीटू के महासचिव तपन सेन ने एक लिखित बयान में कहा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कुछ दिनों पहले कहा था, "मैं आपको बता दूं कि इजरायल में श्रम कानून मजबूत और सख्त है और श्रम अधिकारों और प्रवासी अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करते हैं।"

"जोखिम हर जगह है। इसलिए ऐसी जगह पर रहना बेहतर है जहां आपको अधिक पैसा म‍िले। अभी तो परिणाम घोषित नहीं हुआ है और मै इंतजार ही कर रहा हूँ। परिवार में इजरायल को लेकर डर तो है। लेकिन पैसे भी जरूरी हैं।" मौर्या कहते हैं।