लखीमपुर खीरी: मई की आंधी बार‍िश ने बबार्द की केले की फसल, किसान करें भी तो क्‍या?

मई महीने में देश के कई हिस्‍सों में भारी बार‍िश हुई। बार‍िश ने र‍िकॉर्ड बना द‍िया। मई महीने की ये बार‍िश अप्रत्‍याश‍ित थी। इससे क‍िसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केला क‍िसानों की तो पूरी फसल ही बर्बाद हो गई।;

Update: 2025-06-09 00:30 GMT

लखीमपुर खीरी। तारीख 21 मई 2025। आंधी और बारिश ने लखीमपुर की निघासन और पलिया तहसीलों में तैयार खड़ी केले की फसल को तबाह कर दिया। लगभग 700–800 एकड़ में लगे केले के खेत लगभग पूरी तरह नष्ट हो गए। गन्ने की फसल से उम्मीदें टूटने के बाद किसानों ने केले की खेती का रुख किया था। लेकिन बेमौसम बार‍िश की मार से इस फसल ने क‍िसानों को काफी नुकसान पहुंचाया। मई महीने में देश के कई ह‍िस्‍सों में भारी बार‍िश हुई ज‍िसकी वजह से क‍िसानों को नुकसान उठाना पड़ा।

ज‍िला उद्यानिकी व‍िभाग लखीमपुर खीरी से म‍िली र‍िपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 तक जिले में केले की खेती लगभग 1,800 हेक्टेयर में फैली थी। यह क्षेत्र 2025 में बढ़कर 2,400 हेक्टेयर तक पहुंच गया। लेकिन मौसम की अनियमितता अब इस फसल के लिए भी बड़ा खतरा बनती जा रही है।

हरविंदर सिंह, पलिया तहसील के तिकोना फार्म निवासी, बताते हैं, “ 8 एकड़ में केले की खेती की थी। इस बार सर्दी कम पड़ने के कारण पौधों में जल्दी फूल आ गया, जिससे उत्पादन पहले ही कम हो रहा था। अब 21 मई की तेज आंधी ने उनकी तैयार खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया।”

“2017 से केले की खेती कर रहा हूँ, मेरे पिता भी यही करते थे। ऐसी तबाही पहले कभी नहीं देखी। फसल बिल्कुल तैयार थी, 10-15 दिन में कटाई होनी थी। प्रति एकड़ डेढ़ लाख रुपये की लागत आती है। अब 80% फसल नष्ट हो गई और जो बची है, वो तेज धूप से काली पड़ रही है।” वे आगे कहते हैं।

“700 से 800 एकड़ में फैली केले की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है। उन्होंने खुद 7 एकड़ में केले की खेती की थी। गन्ने से ज्यादा फायदा केले की खेती में है, इसलिए पिछले 5 सालों से इसे कर रहे थे। लेकिन पहली बार इतनी तेज आंधी आई है। लागत तो क्या, बचत भी नहीं निकल पा रही। अब जो 20% फसल बची है, वो भी धूप से खराब हो रही है।” निघासन तहसील के गहरा फार्म निवासी ओमकार सिंह बताते हैं।

आंधी-पानी से बर्बाद हुई केले की फसल, देख‍िये पूरी वीड‍ियो स्‍टोरी



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