असहनशीलता की बनावटी बहस?

Update: 2015-12-31 03:30 GMT
इस वर्ष असहनशीलता पर बहस ऐसे क्या कारण थे जो पूरे भारत में चर्चा का मुद्दा बना रहा  है? * क्या मुद्दा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं – एवं हिंदू गांववालों – द्वारा 50 साल के मोहम्मद अखलाक पर गौमांस खाने का आरोप लगाना एवं बाद में भीड़ द्वारा उसका मारा जाना रहा? * क्या मुद्दा शिवसेना रही जो मुसलमानों के मतदान के अधिकार को निरस्त कर दिए जाने की मांग कर रही है ? * क्या आमिर खान – और अन्य अभिनेता, विशेष कर मुसलमान
अभिनेता
, रहे जिन पर असहनशीलता पर किए गए टिप्पणियों के लिए हमला किया जा रहा है? हर विवाद का मुख्य केंद्र, बहुसंख्यकवाद के एक बढ़ती ज्वार एवं अल्पसंख्यकों के लिए नई वास्तविकताओं, विशेष रूप से मुसलमान, की आशंकाओं के साथ धर्म रहा है।  और धर्म के इस विवाद में एक तर्क यह रहा कि एक दिन देश में मुसलमानों की संख्या हिंदूओं से अधिक होगी लेकिन आंकड़े इस तर्क का समर्थन नहीं करते हैं।   Factchecker.in, वेबसाइट के
अनुसार
, यह अविश्वसनीय है कि भारतीय मुसलमानों की संख्या हिंदूओं से अधिक होगी। Factchecker.in, इंडियन इंस्ट्टियूट ऑफ पॉपूलेशन स्टडिज़ की रिपोर्ट का ज़िक्र करती है जो कहती है कि, “ऐसा कहा जा सकता है कि वर्तमान स्तर की तुलना में मुसलमान आबादी हिस्सेदारी के वृद्धि की उम्मीद हो सकती है लेकिन सदी के अंत तक 20 फीसदी से ऊपर ज्यादा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।”   प्रतिस्थापन के स्तर से नीचे प्रजनन क्षमता होने की क्षमता के साथ भी भारत की हिंदू आबादी में वृद्धि होगी
    शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने, पार्टी के मुखपत्र, सामना के संपादकीय में कहा है कि, “निकट भविष्य में भारत की मुस्लिम आबादी, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में मुसलमानों की संख्या से अधिक हो जाएगी जिसके परिणामस्वरुप  हिंदू राष्ट्र में सांस्कृतिक और सामाजिक असंतुलन होगा।”   हालांकि, पीईडब्लू, एक वैश्विक अनुसंधान संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, औसतन वैश्विक आबादी की तुलना में हिंदू युवा हैं। रिपोर्ट कहती है कि “जीवन प्रत्याशा में वृद्धि होने के साथ, प्रतिस्थापन के स्तर से नीचे प्रजनन क्षमता होने के बाद भी हिंदू आबादी में वृद्धि होगी।” भारतीय मुसलमान महिलाओं के लिए प्रजनन दर में गिरावट हुई है। 2001 में जहां भारतीय मुसलमान महिलाओं की प्रजनन दर 4.1 थी वहीं 2010 में यह गिर कर 3.2 हुई है और 2050 तक यह 2.1 तक पहुंचने की संभावना है। हिन्दू प्रजनन दर 2.1 है और 2050 तक, 2.1 की प्रतिस्थापन के स्तर से नीचे,  यह 1.9 तक पहुंचने की संभावना है   भारत सरकार ने लगभग चार साल की देरी के बाद , 2015 में
धर्म पर भारत की जनगणना के आंकड़े
जारी किए हैं । इंडियास्पेंड ने अगस्त में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हिंदुओं के अनुपात में 2001 के अंत में 80.5 फीसदी से गिरकर 2011 के अंत में 79.8 फीसदी की मामूली गिरावट हुई है। मुसलमानों का प्रतिशत, 2001 के अंत में 13.4 फीसदी से बढ़ कर 2011 में 14.2 फीसदी हुई है। भारत की जनसंख्या वृद्धि 2001 से 2011 के बीच में 17 फीसदी थी जबकि 2011 में मुसलमान आबादी 24.6 फीसदी की 20 साल के निचले स्तर पर था, जनगणना के आंकड़ों का उपयोग कर हमने यह
रिपोर्ट
किया था। 2011 की दशक के अंत तक हिन्दू जनसंख्या वृद्धि 16.75 फीसदी से नीचे था। इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 966 मिलियन हिंदू ( 79.8 फीसदी ) एवं 172 मिलियन मुसलमान ( 14.2 फीसदी ) हैं। भारत में हिंदू एवं मुसलमान : 1901-2011 Full View कुल हुए धार्मिक घटनाओं में एक पांचवा भाग उत्तर प्रदेश में दर्ज  वर्ष 2015 में असहनशीलता का मुद्दा गरमाया रहा। इसी साल देश भर से करीब 50 से अधिक लेखकों एवं कलाकारों ने यह कहते हुए अपना सरकार की ओर से दिया गया पुरस्कार लौटा दिया कि असहनशीलता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।  इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी खास
रिपोर्ट
में बताया है कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश के बीसरा गांव में गौमांस खाने के संदेह में, भीड़ द्वारा मो. अखलाक के मारे जाने के बाद असहनशीलता को मुद्दा बनाते हुए कई लोगों ने अपना पुरस्कार वापस किया है। गौर हो कि 2010 से 2014 के बीच देश में हुई कुल धार्मिक घटनाओं में पांचवा हिस्सा उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। धार्मिक घटनाओं वाले टॉप 5 राज्य , 2010-14 Full View पिछले पांच वर्षों में भारत में करीब 3,400 धार्मिक घटनाएं हुई हैं जिनमें लगभग 529 लोगों की मौत एवं 10,344 लोग घायल हुए हैं। लेकिन यह आंकड़े गृहमंत्रालय द्वारा किस विभाग द्वारा जारी किए गए हैं उस पर निर्भर करता है।  गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो , मंत्रालय के तहत एक विभाग, द्वारा वर्ष 2014 में सांप्रदायिक दंगों पर प्रकाशित आंकड़े भिन्न पाए गए हैं।
 
Factly.in , एक डेटा पत्रकारिता पोर्टल कहती है कि गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले वर्ष साम्प्रदायिक घटनाओं की संख्या 644 बताई गई है जबकि एनसीआरबी के मुताबिक यह संख्या 1,227 बताई गई है।  इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस बात पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है कि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद धार्मिक घटनाओं की संख्या बढ़ी है या घटी है।

( यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 26 दिसंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित किया गया है। )

 
 

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