नई दिल्ली: एक दशक पहले की तुलना में अधिक भारतीय बच्चों को सभी बुनियादी टीकाकरण प्राप्त हो रहे हैं। यह बेहतर शिक्षित माताओं और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल का संकेत है। लेकिन चीन की तुलना में भारत अब भी पीछे है, जिसने अपने 90 फीसदी से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया है और एक तरह से उभरते हुए देशों का नेतृत्व करता है।

नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में, 12 से 23 महीने के 62 फीसदी भारतीय बच्चों (10 में से 6) ने मूल टीकाकरण प्राप्त किया है। ये आंकड़े 2005-06 में एक दशक पहले की तुलना में 44 फीसदी ज्यादा हैं।

चीन ने अपने 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों का टीकाकरण किया है, जबकि वियतनाम ने 90 फीसदी, थाईलैंड ने 95 फीसदी से अधिक, बांग्लादेश ने 90 फीसदी और श्रीलंका ने 95 फीसदी से अधिक का टीकाकरण किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के निगरानी प्रणाली के अनुसार, विकसित देशों, जैसे कि अमेरिका और ब्रिटेन, चीन के बच्चों के समान अनुपात टीका लगाते हैं, जबकि अफ्रीकी देश आधे बच्चों का टीकाकरण लगाते हैं।

12 जनवरी, 2018 को जारी किए जाने वाले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2015-16 (एनएफएचएस -4) की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, टीकाकरण के मामले में आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों में से पांच और राजस्थान (55 फीसदी), मध्यप्रदेश (54 फीसदी), उत्तर प्रदेश (51 फीसदी), और गुजरात (50 फीसदी) सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 10 राज्यों में से हैं।

12-23 आयु वर्ग के बच्चों के लिए बुनियादी टीकाकरण में पिछड़ गए 10 सबसे बद्तर राज्य

एनएफएचएस -4 रिपोर्ट में कहा गया है, “टीका-निवारणीय रोगों के खिलाफ बच्चों को प्रतिरक्षित करने से बचपन के विकार और मृत्यु दर को बहुत कम कर सकते हैं। ”

भारत ने 2005 और 2015 के बीच पांच साल से कम उम्र के एक मिलियन बच्चों की मौत को रोका है और इसमें टीकाकरण ने एक बड़ी भूमिका निभाई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 5 अक्टूबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

12-23 महीने के आयु वर्ग के बच्चे, जिन्होंने सभी बुनियादी टीकाकरण प्राप्त किए

टीकाकरण कवरेज के संबंध में जानकारी राज्य भर से बच्चे के स्वास्थ्य कार्ड और कुल 47,837 बच्चों के लिए मां द्वारा प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग से एकत्र किया गया था।

सभी बुनियादी टीकाकरण प्राप्त करने के लिए, बच्चे को बीसीजी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए, जो टीबी से रक्षा करता है। डीपीटी वैक्सीन की तीन खुराक, जो डिप्थीरिया, पर्टुसिस (उल्लू खांसी) और टेटनस से बचाता है, और पोलियो वैक्सीन की तीन खुराक और खसरा टीका की एक खुराक प्राप्त होना चाहिए।

एनएफएचएस -4 रिपोर्ट में हेपेटाइटिस-बी(जीवन को जोखिम में डालने वाला वायरस संक्रमण ) के लिए टीकाकरण कवर भी शामिल है।

92 फीसदी के आंकड़ों के साथ बीसीजी वैक्सीन के लिए कवरेज सबसे उच्च रहा है। यह आंकड़ा एक दशक पहले 78 फीसदी रहा है। 73 फीसदी के आंकड़ों पर पोलियो टीका की तीसरी खुराक का सबसे कम कवरेज रहा है। 2005-06 में ये आंकड़े 78 फीसदी थे।

63 फीसदी बच्चों को हेपेटाइटिस-बी की तीन खुराक प्राप्त हुईं है।

12-23 महीने के आयु वर्ग के सभी बुनियादी टीकाकरण प्राप्त करने वाले बच्चे

Children Aged 12-23 Months Receiving All Basic Vaccinations
BCGDPTPolioMeaslesAll BasicsNoneHepatitis B
1st Dose2nd Dose3rd Dose1st Dose2nd Dose3rd Dose
92%9086789186738162663

Source: National Family Health Survey-4 2015; Figures in %

हालांकि, दूसरे और तीसरे खुराक की तुलना में अधिक बच्चों को डीपीटी और पोलियो दवा की पहली खुराक मिली है। डीपीटी की तुलना में पोलियो के लिए खुराक छोड़ने की दर ज्यादा है।

12-23 महीने की आयु के 90 फीसदी बच्चों को डीपीटी की पहली खुराक प्राप्त की है और 78 फीसदी ने अंतिम खुराक प्राप्त की है। कम से कम 91 फीसदी और 73 फीसदी बच्चों को पोलियो वैक्सीन की पहली और आखिरी खुराक प्राप्त हुई है।

12-23 महीने की उम्र के कम से कम 70 फीसदी बच्चे जिनकी माता के पास 12 या उससे अधिक साल की शिक्षा है, सभी बुनियादी टीकाकरण प्राप्त किया है। जबकि जिन बच्चों के माताओं के पास स्कूली शिक्षा नहीं है, उनके लिए आंकड़े 52 फीसदी रहे हैं।

मां की शिक्षा के अनुसार सभी बुनियादी टीकाकरणों के साथ 12 से 23 महीने के बच्चे

12-23 महीने आयु वर्ग के बच्चे जिन्हें कोई टीका प्राप्त नहीं हुआ है, उनके लिए आंकड़े 2005-06 में 5.1 फीसदी था, जो अब 6 फीसदी हुआ है।

एक दशक से 2015-16 तक, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण भारत में बच्चों की टीकाकरण में ज्यादा वृद्धि देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 61 फीसदी बच्चों को सभी बुनियादी टीकाकरणों के साथ कवर किया गया था जबकि एक दशक पहले यह आंकड़े 39 फीसदी थे। शहरी इलाकों में, कवरेज 2005-06 में 58 फीसदी से बढ़कर 2015-16 में 64 फीसदी हुआ है।

(त्रिपाठी प्रमुख संवाददाता है और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 13 फरवरी, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।

__________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :