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वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने अपना तीसरा बजट पेश करते हुए कहा कि, 2017-18 से सरकार योजना (परिसंपत्ति निर्माण आदि) और गैर-योजना (वेतन, ब्याज भुगतान आदि) मद समाप्त करेगी।

ऐसी ही घोषणा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने 2015-16 का बजट पेश करते हुए की थी। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी अपनी खास रिपोर्ट में बताया है।

पेश किए गए बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री का ध्यान मुख्यत: निवेश, रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास और सामाजिक क्षेत्र का निवेश था।

जबकि सड़क क्षेत्र में करीब 1 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, 2016-17 में सड़कों और रेल नेटवर्क में कुल निवेश 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), दुनिया के सबसे बड़ी रोजगार गारंटी कार्यक्रम को - एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूपीए सरकार के विफलता के रुप में आलोचना की गई थी - 2015-16 में 33700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2016-17 के लिए 38,500 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिय योजनाओं - स्वच्छ भारत अभियान और फसल बीमा योजना - को 9,000 करोड़ रुपये और 5,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि वित्त मंत्री द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए समर्थन किया जाना है: गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की समस्याओं को दूर करने के लिए, पुनर्पूंजीकरण के लिए 25,000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। यदि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों को वापस बरामद किया जाता है तो वह राशि, 2015 की भारत की रक्षा, शिक्षा, राजमार्गों, और स्वास्थ्य खर्च के लिए भुगतान के लिए पर्याप्त होगा। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी विस्तार से बताया है।

2016-17 के लिए 19.78 करोड़ लाख रुपये का व्यय परिव्यय के साथ वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अगले वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 फीसदी का अपना राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा करेगी।

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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