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कोलकाता के ‘कैंसर सेंटर वेल्फेयर होम एंड रिसर्च इन्स्टिटूट’ के बच्चों के वार्ड में आराम करता एक युवा कैंसर रोगी।

पिछले तीन वर्षों से 2016 तक, भारत के कुछ सबसे छोटे प्रांतों में कैंसर दर ( प्रति 100,000 लोगों पर मामले ) राष्ट्रीय स्तर की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रति व्यक्ति आय के अनुसार इनमें से दो भारत के सबसे समृद्ध क्षेत्र में से हैं, जैसा कि संसद में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चला है।

1 अगस्त, 2017 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा राज्य सभा को दिए गए उत्तर पर किए गए हमारे विश्लेषण के अनुसार, पिछले तीन वर्षों से 2016 तक प्रति 100,000 लोगों पर कैंसर के मामलों की संख्या में, केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव में 41 अंकों की उच्चतम वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि देश के लिए 10 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।

इसके बाद, इसी अवधि के दौरान केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में से सबसे ज्यादा वृद्धि, दादरा एवं नगर हवेली (22 अंक), लक्षद्वीप (18.6 अंक), पुडुचेरी (13.5 अंक) और केरल (13 अंक) में दर्ज की गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2013-14 और वर्ष 2015-16 के बीच पुडुचेरी और केरल की औसत प्रति व्यक्ति क्रमश: पांचवीं और आठवीं उच्चतम आय थी।

भारत में कैंसर के मामले, वर्ष 2014-16

Source: Rajya Sabha, Reserve Bank of India, Census 2011, National Crime Records Bureau * NOTE 1: Population for Telangana & Andhra Pradesh adjusted according to mid-year projected population by National Crime Records Bureau based on 2011 Census. # NOTE 2: Union Territories Dadra Nagar Haveli, Daman and Diu and Lakshadweep do not compile estimates of state domestic product; Bengal income missing as estimates of new series with base year 2011-12 have not been finalised yet.

कैंसर अब किसी भी उम्र में हो सकती हैं। कई कारणों से कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर निकलने लगती हैं। जीन में दोष, हवा और भोजन में विषाक्त पदार्थ, या तम्बाकू या अधिक शराब का उपभोग कुछ आम कारण हो सकते हैं।

प्रति 100,000 लोगों पर 181 के आंकड़ों के साथ देश में दमन और दीव की कैंसर की दर सबसे ज्यादा थी और 119 की राष्ट्रीय दर से 62 अंक अधिक थी। राजसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, तीन सालों में भारत को 9 फीसदी अधिक कैंसर के मामलों की जानकारी मिली है।

Cancer Cases In India, 2014-16
Year201420152016
Cases1,328,2291,388,3971,451,417

Source: Rajya Sabha

हर साल करीब 10 लाख भारतीयों में कैंसर की पहचान होती है और एक समय में और पश्चिमी दुनिया का रोग माने जाने वाले इस बीमारी से हर साल 680,000 लोगों की मृत्यु होती है। कैंसर के आंकड़ों पर एक अंतरराष्ट्रीय पहल ‘ग्लोबोकैंन’ के अनुसार, अगले 18 वर्षों में भारत का कैंसर बोझ 70 फीसदी बढ़ने की आशंका है।

अमेरिका में 33 फीसदी की तुलना में, भारत में 68 फीसदी कैंसर के रोगियों की क्यों हो जाती है मौत?

हालांकि, भारत में कैंसर की घटनाएं वैश्विक औसत से आधी हैं और विकसित देशों में होने वाली घटनाओं से आधे से भी कम । लेकिन भारत में कैंसर की देखभाल दुर्लभ है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले ही कैंसर देखभाल पर तीन श्रृंखला के लेख में विस्तार से बताया है।

वर्ष 2016 में भारत में 14.5 कैंसर के नए मामले सामने आए हैं और इस रोग से 736,000 मौतें हुई हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़ों के मुताबिक 2030 तक 17.3 लाख मामले और 2020 तक 880,000 मौतें होने की आशंका है।

भारत में 250 से अधिक समर्पित कैंसर-देखभाल केंद्र नहीं हैं ( भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर 0.2 का आंकड़ा है, जबकि अमरीका में प्रति 10 लाख आबादी पर 4.4 का आंकड़ा है ) जिनमें से 40 फीसदी आठ महानगरीय शहरों में मौजूद हैं और 15 फीसदी से कम सरकार द्वारा संचालित हैं। वर्ष 2015 में ‘अर्न्स्ट एंड यंग’ द्वारा किए गए एक एक अध्ययन ‘कॉल फॉर एक्शन: एक्सपैंडिंग कैंसर इन इंडिया’ में इन मुद्दों पर बातचीत की गई है।

यही कारण है कि भारत के 80 फीसदी कैंसर के मामले एक उन्नत स्तर पर चिकित्सा के लिए आते हैं, और भारत में 68 फीसदी कैंसर रोगी के मरने का एक कारण भी यही है। हम बता दें कि अमरीका में इस रोग से 33 फीसदी रोगियों की मौत होती है। भारत में प्रति 10 लाख आबादी पर 0.98 ऑनकॉलोजिस्ट हैं, जबकि चीन के लिए यह आंकड़े 15.39, फिलीपींस के लिए 25.63 और ईरान के लिए 1.14 है।

(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 8 सितंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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