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गोवा के लोकप्रिय बीच में से एक अंजुना में समुद्र किनारे मौजूद इस रेस्टोरेंट में अक्टूबर में टूरिस्ट सीजन की शुरुआत के बाद भी माहौल शांत है। कुछ टूरिस्ट अंदर बैठकर नजारे का मजा ले रहे हैं, लेकिन अभी यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि गोवा में टूरिस्ट की संख्या पहले जितनी अधिक रहेगी या नहीं। पिछले वर्ष, मालिक को कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी थी, क्योंकि नोटबंदी के कारण टूरिस्ट वापस चले गए थे या वे रेस्टोरेंट तक नहीं आए थे।

अंजुना, कलानगुट, सिओलिम (गोवा): नॉर्थ गोवा में अंजुना बीच पर मूनस्टार बार एंड रेस्टोरेंट के मालिक, राजू लखानी पिछले सीजन को याद कर रहे हैं जब डीमॉनेटाइजेशन के कारण कारोबार इतना खराब था कि उन्हें कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी थी। वर्तमान टूरिस्ट सीजन के शुरू होने पर उन्होंने रेस्टोरेंट दोबारा खोला है और वह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि टूरिस्ट सामान्य संख्या में आते हैं या नहीं। लेकिन एक चीज नहीं बदली है, उनका रेस्टोरेंट अभी भी केवल नकदी पर चलता है।

9 नवंबर, 2016 को, डीमॉनेटाइजेशन (नोटबंदी) ने काला धन बाहर करने और नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर देश को ले जाने के लक्ष्य के साथ अर्थव्यवस्था से करेंसी का 86फीसदी हटा दिया था। छह सप्ताह बाद, इंडियास्पेंड ने गोवा में पर्यटन क्षेत्र पर इसके तुरंत प्रभाव पर रिपोर्ट दी थी। गोवा में सबसे अधिक रोजगार देने वाला पर्यटन क्षेत्र नकदी पर काम करता है, और डीमॉनेटाइजेशन के डर से पर्यटकों ने दूरी बना ली थी या उनके पास खर्च करने के लिए कोई नकदी नहीं थी।

एक वर्ष बाद, इंडियास्पेंड यह देखने के लिए दोबारा गोवा पहुंचा कि उसके बाद से स्थितियों में कैसा बदलाव आया है। हमने जो पाया उससे पता चलता है कि डीमॉनेटाइजेशन काफी हद तक एक असफल कदम रहा जिससे सामान्य नागरिकों को परेशानी हुई और गोवा के लिए कीमती पर्यटक इससे दूर हो गए। पर्यटन से संबंधित अधिकतर व्यापार अभी भी बड़े स्तर पर नकदी पर चल रहे हैं- जिन्होंने कार्ड स्वाइप मशीनों का ऑर्डर दिया था उन्हें अभी तक ये प्राप्त नहीं हुई हैं- और कारोबारियों को यह नहीं पता कि खर्च नोटबंदी से पहले वाले स्तर पर लौटेगा या नहीं।

सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र अभी भी मंदी की चपेट में

वैश्विक स्तर पर यात्रा और पर्यटन में प्रतिस्पर्धा की क्षमता के लिहाज से भारत का स्थान 40वां हैं, लेकिन 2016 से 2026 के बीच, इसके सैर सपाटे (लेजर) के लिए यात्रा खर्च को लेकर थाईलैंड, चीन और वियतनाम को पीछे छोड़कर सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बनने का अनुमान है। हालांकि, पर्यटकों के लिए कुछ विशेष सेवाओं की कम उपलब्धता इसके लिए चुनौती बनी हुई है। इन सेवाओं में इनफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल शामिल हैं।

2009 से, पर्यटन ने देश के 50 करोड़ कर्मियों के कार्यबल के 10फीसदी से अधिक को निरंतर रोजगार दिया है। इंडियास्पेंड ने दिसंबर 2016 में रिपोर्ट दी थी कि पर्यटन क्षेत्र में पांच करोड़ लोगों को रोजगार मिला है, जो कोलंबिया की जनसंख्या से अधिक है। पर्यटन कई तरह के रोजगार देने वाला क्षेत्र है, जिसमें विशेषज्ञ से लेकर अकुशल तक कई प्रकार की नौकरियां मिलती हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के डेटा के अनुसार, पर्यटन में प्रत्येक 10 लाख रुपये के निवेश पर 78 नौकरियां बनती हैं। इसकी तुलना में समान निवेश पर कृषि में 45 नौकरियां और मैन्युफैक्चरिंग में 18 नौकरियां मिलती हैं।

गोवा में पर्यटन रोजगार और आमदनी देने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है। इंडियास्पेंड ने 20 मार्च, 2014 को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2012 में खनन पर प्रतिबंध के बाद राज्य के अन्य बड़े उद्योग के बर्बाद होने के बाद, पर्यटन गोवा का सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया था। वर्तमान में राज्य के कार्यबल का 10.2फीसदी पर्यटन से जुड़ा है। गोवा को विदेशी पर्यटकों के आने से प्रतिवर्ष 8,000 से 15,000 करोड़ रुपये के बीच विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

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दुनिया भर के पर्यटकों को लुभाता है गोवा का सूरज और यहां का समुद्री तट। राज्य के कार्यबल में 10.2 फीसदी को मिलता है पर्यटन में रोजगार

डीमॉनेटाइजेशन पिछले वर्ष टूरिस्ट सीजन की शुरुआत के साथ आया था। पर्यटक पैसा नहीं निकाल पा रहे थे क्योंकि एटीएम पर भीड़ बहुत अधिक थी या उनमें नकदी नहीं थी। दुकानों और रेस्टोरेंट के पास कार्ड स्वाइप मशीनें नहीं थी और वे अपने ग्राहकों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे थे और उन्हें खर्च कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी भी करनी पड़ी थी। असुविधाओं का सामना करने के बाद बहुत से विदेशी पर्यटक या तो दक्षिण-पूर्ण एशिया की ओर रवाना हो गए या उन्होंने अपने खर्च में कमी कर दी, जिससे पर्यटन से जुड़ी अर्थव्यवस्था थम गई थी।

लखानी के मूनस्टार के पास मौजूद गुरू बार अंजुना, उन चुनिंदा प्रतिष्ठानों में से एक था जिनके पास डीमॉनेटाइजेशन के दौरान एक कार्ड स्वाइप मशीन थी, जिसका उन्होंने पड़ोस में मौजूद बहुत से कारोबारियों को भी उपयोग करने दिया था।

गुरू बार की शुरुआत 1967 में हुई थी और इस वर्ष उसकी 50वीं वर्षगांठ है, लेकिन इस सीजन में व्यवसाय ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है, और इसके मालिक सत्यवान नाइक बताते हैं कि दिवाली और दशहरा जैसे भीड़ को खींचने वाले त्योहार भी ‘फीके’ रहे हैं। उन्होंने कहा, “विदेशी पर्यटक इस वर्ष पहले जितनी संख्या में नहीं लौटे हैं। मुझे नहीं पता कि इसका कारण डीमॉनेटाइजेशन है या नहीं।” अगर बिक्री नहीं बढ़ती तो उन्हें कर्मचारियों की संख्या कम करनी पड़ेगी, जैसा कि बहुत से रेस्टोरेंट ने पिछले वर्ष किया था।

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गुरू बार अंजुना में उन चुनिंदा प्रतिष्ठानों में से एक था जिनके पास नोटबंदी के दौरान एक कार्ड स्वाइप मशीन थी, जिसका पड़ोस के बहुत से कारोबारियों ने भी उपयोग किया था। इस वर्ष रेस्टोरेंट की 50वीं वर्षगांठ है, लेकिन इस सीजन में कारोबार ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है।

जमीनी स्तर पर लोगों के अनुभव से विपरीत, सरकार ने दिसंबर 2016 में एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि उसने पर्यटकों पर डीमॉनेटाइजेशन के प्रतिकूल प्रभाव को न पड़ने देने के लिए उपाय किए हैं, और नवंबर 2015 की तुलना में नवंबर 2016 में देश भर में विदेशी पर्यटकों की संख्या और पर्यटकों से विदेशी मुद्रा में आमदनी बढ़ी है। सरकार ने इसके तुरंत बाद के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए थे, इस कारण से डीमॉनेटाइजेशन के प्रभावों के स्पष्ट होने के बाद स्थिति बदली है या नहीं इसकी पुष्टि करना संभव नहीं है।

वापस नकदी की ओर

गोवा में समुद्र तटों पर दुकानें और शैक चलाना एक सीजनल कारोबार है, जो अक्टूबर में सर्दी की शुरुआत के साथ जुलाई के शुरू में मॉनसून के आने तक चलता है। इंडियास्पेंड की 23 दिसंबर, 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, “अधिकतर शैक मालिक पीक सीजन के दौरान कारोबार शुरू करते हैं और उन्हें नकदी में लेन-देन करना आसान लगता है।“

कलानगुट में H2O जैसे कुछ रेस्टोरेंट और सिओलिम में सनसेट बार ने डीमॉनेटाइजेशन के तुरंत बाद स्वाइप मशीनों का ऑर्डर दिया था। इनमें से किसी को अक्टूबर 2017 के अंत तक मशीनें नहीं मिली थी। H2O के प्रबंधक ने बताया कि डीमॉनेटाइजेशन के बाद कारोबार वापस सामान्य हो गया था लेकिन वे केवल नकदी में कारोबार कर रहे हैं।

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समुद्र किनारे शैक पर एक सामान्य दिन। पिछले सीजन में डीमॉनेटाइजेशन के दौरान, नकदी की कमी से परेशान पर्यटकों ने अपना खर्च घटा दिया था या वे दक्षिण-पूर्व एशिया चले गए थे। इस वर्ष, कारोबारी यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि पर्यटकों की संख्या सामान्य होगी या नहीं।

सनसेट बार का नाम बदलकर उडो लाइफ कर दिया गया है और प्रबंधन में बदलाव के कारण इसे अभी तक सीजन के लिए नहीं खोला गया है। नए मैनेजर ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर इंडियास्पेंड को बताया, “डीमॉनेटाइजेशन के बाद स्वाइप मशीनों की मांग काफी बढ़ गई थी, और हमने दोबारा आवेदन किया है, लेकिन अभी तक हमें मशीन नहीं मिली है। ऐसा लगता है कि मशीनों की कमी है।”

अंजुना पर एक अन्य शैक मालिक ने अपना नाम जाहिर न करने की इच्छा जताते हुए कहा कि वह स्वाइप मशीन का झंझट नहीं चाहते। उन्होंने बताया, “हम सीजन के समय में केवल छह महीने के लिए इस कारोबार को चलाते हैं। इसके बाद हम इस मशीन का क्या करेंगे? हम बैंक को पूरे वर्ष के लिए क्यों भुगतान करें?”

इंडियास्पेंड के पिछले वर्ष के दौरे के दौरान अंजुना बीच पर दिखी A-Z हैंडीक्राफ्ट्स जैसी दुकानों को स्वाइप मशीनें हासिल करना विशेषतौर पर मुश्किल लगता है, क्योंकि इनके मालिक एक स्थान पर नहीं रहते और निवास का प्रमाण जैसे दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सकते।

इस वर्ष 1 नवंबर तक A-Z हैंडीक्राफ्ट्स के मालिक, अब्दुल कय्यूम और अहमद बट कश्मीर से गोवा नहीं आए थे। पड़ोस में एक हैंडीक्राफ्ट की दुकान चलाने वाले रेहान को नहीं पता कि वे कब आएंगे। रेहान ने इंडियास्पेंड को बताया, “कारोबार मंदा है, मैं केवल इसके जल्द रफ्तार पकड़ने की उम्मीद कर सकता हूं। लेकिन लोगों के पास अब पैसा होने के बावजूद वे उसे खर्च के लिए तैयार नहीं दिखते।”

(पाटिल विश्लेषक हैं, इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 13 नवंबर, 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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