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मुंबई: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण के अनुसार 18 अप्रैल, 2019 को 17वीं लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में लड़ रहे उम्मीदवारों में से 251 (16 फीसदी) ने घोषित किया है कि वे आपराधिक मामले का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 167 (11 फीसदी) गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। ‘चरण-दो’ में चुनाव लड़ रहे 1,644 उम्मीदवारों में से 1,590 के हलफनामों से यह आंकड़े सामने आए हैं। 54 उम्मीदवारों के हलफनामे अवैध या अपूर्ण थे।

1,590 उम्मीदवारों में से लगभग 27 फीसदी या 423 ने 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति घोषित की है। प्रमुख दलों में, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं, और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के 96 फीसदी (24 में से 23) उम्मीदवार करोड़पति हैं। संपत्तियों में उम्मीदवार की कुल चल और अचल संपत्ति, उनके पति और आश्रित शामिल हैं। चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले उम्मीदवारों को एक शपथ पत्र (फॉर्म 26) प्रस्तुत करना होता है, जिसमें व्यक्तिगत विवरण प्रस्तुत होता है । पैन और आयकर रिटर्न के प्रमाण के साथ आय और संपत्ति का विवरण शामिल होता है। एक उम्मीदवार को किसी भी आपराधिक मामलों के विवरण को भी सूचीबद्ध करना होगा, जिसका आरोप उस पर लगा है। यदि किसी उम्मीदवार को गलत हलफनामा देते पाया जाता है, तो उसे छह महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

17 वीं लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा दायर हलफनामे सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

इंडियास्पेंड ने उन 44 उम्मीदवारों के स्व-शपथ-पत्रों का विश्लेषण किया, जो 16 वीं लोकसभा के सदस्य हैं और दूसरे चरण के चुनाव में भाग ले रहे हैं। साथ ही इंडियास्पेंड ने भारत के निर्वाचन आयोग की हलफनामा वेबसाइट और हलफनामे संग्रह में उपलब्ध उनके 2014 के लोकसभा चुनाव हलफनामे के साथ तुलना भी की, जिसे उनकी घोषित संपत्ति में कितने प्रतिशत का परिवर्तन हुआ, इसकी गणना की जा सके।

हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि जिन 39 उम्मीदवारों की संपत्ति में वृद्धि हुई, उनमें औसतन 67 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जबकि जिन पांच उम्मीदवारों की संपत्ति में कमी आई, उनमें 2014 के बाद से 19 फीसदी की औसत कमी देखी गई।

2019 में घोषित 44 सांसदों की कुल संपत्ति 1,262 करोड़ रुपये (182 मिलियन डॉलर) से अधिक है, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 6,000 किलोमीटर लचीली ग्रामीण सड़कों के निर्माण की कुल लागत के बराबर है।

संपत्ति में ज्यादा वृद्धि वाले शीर्ष तीन सांसद

संसद के 39 सांसद, जिनकी संपत्ति 2014-2019 के बीच बढ़ी है, उनमें से 15 भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी ) से हैं,छह कांग्रेस से हैं, चार अन्नाद्रमुक से हैं, तीन शिवसेना से हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और राष्ट्रीय जनता दल से दो-दो, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, बीजू जनता दल, जनता दल (सेक्युलर), जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और पट्टली मक्कल काची में से एक है। जिस सांसद ने अपनी संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि देखी, वह कर्नाटक के बैंगलोर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र के सांसद, कांग्रेस के डीके सुरेश हैं। 2014 में, उनकी संपत्ति 85 करोड़ रुपये थी, जो 2019 में बढ़कर 338 करोड़ रुपये हो गई, यानी 295 फीसदी की वृद्धि हुई है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा में सुरेश की उपस्थिति 85 फीसदी है। उन्होंने राष्ट्रीय औसत 67.1 के खिलाफ 91 बहस में भाग लिया है। 293 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 648 सवाल पूछे हैं। उनके खिलाफ पांच आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से सभी कर्नाटक वन नियम 1969 और कर्नाटक वन अधिनियम 1963 की धाराओं के तहत हैं। उन पर आरक्षित वन क्षेत्र में बिजली लाइन के लिए उत्खनन का आरोप है। महाराष्ट्र के बुलढाणा निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के प्रतापराव गणपतराव जाधव ने अपनी संपत्ति में 223 फीसदी की वृद्धि देखी। 2014 में उनकी संपत्ति 3.6 करोड़ रुपये थी, जो 2019 में बढ़कर 11.6 करोड़ रुपये हो गई। उनकी 70 फीसदी उपस्थिति रही, उन्होंने 51 बहसों में हिस्सा लिया और 492 सवाल पूछे हैं। भारतीय दंड संहिता के तहत सात गंभीर आरोपों के साथ जाधव पर तीन आपराधिक मामले लंबित हैं। ये मामले झूठे सबूत, भरोसे का आपराधिक उल्लंघन और धोखाधड़ी और बेईमानी वाले संपत्ति के वितरण से संबंधित है। बीजेपी के जुएल ओराम, आदिवासी मामलों के निवर्तमान केंद्रीय मंत्री और ओडिशा में सुंदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के सांसद हैं। उन्होंने 2014 में 2.4 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जो कि 2019 में 206 फीसदी बढ़कर 7.4 करोड़ रुपये हो गई है। ओरम पर गैकानूनी रुप से भीड़ बुलाना, गलत नियंत्रण, सार्वजनिक रास्ते या नेविगेशन की लाइन में खतरा या रुकावट से संबंधित आरोपों के साथ दो लंबित मामले हैं। बीजेपी की स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश में मथुरा निर्वाचन क्षेत्र की सांसद हेमा मालिनी ने 2014 के बाद से अपनी संपत्ति में 45.6 फीसदी की वृद्धि देखी है, जो 178 करोड़ रुपये से 2019 में 259 करोड़ रुपये हुई है।

संपत्ति में सबसे बड़ी कमी वाले सांसद

हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि ‘चरण-2’ में चुनाव लड़ रहे पांच सांसदों की संपत्ति उनके 16 वें लोकसभा कार्यकाल से कम हो गई है। असम में स्वायत्त जिला निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस के बिरेन सिंह एंगटी की संपत्ति में 78 फीसदी की कमी आई है। 2014 में 3 करोड़ रुपये थी। 2019 में 78 लाख रुपये है। तमिलनाडु में तिरुवल्लुर का प्रतिनिधित्व करने वाले एआईडीएमके के पी वेणुगोपाल ने 20फीसदी की कमी देखीङै। श्रीनगर के जम्मू-कश्मीर के नेशनल कांफ्रेस के सांसद फारूक अब्दुल्ला की संपत्ति में 14 फीसदी की कमी थी। चेन्नई दक्षिण से अन्नाद्रमुक के जे. जयवर्धन की संपत्ति में 3 फीसदी की कमी और कर्नाटक के चित्रदुर्ग से कांग्रेस के बीएन चंद्रप्पा की 2014 और 2019 के बीच संपत्ति में 0.8 फीसदी की कमी देखी गई।

2014 के बाद से संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि और कमी के साथ सांसद

Source: Election Commission of India

ऐसे उम्मीदवार जो करोड़पति हैं

प्रमुख दलों में, एआईडीएमके के सभी उम्मीदवार, डीएमके के 96 फीसदी (24 में से 23), बीजेपी के 88 फीसदी (51 में से 45), कांग्रेस के 87 फीसदी (53 में से 46)और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 26 फीसदी ( 80 में से 21 ) उम्मीदवारों ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है।

दूसरे चरण के तीन सबसे अमीर उम्मीदवार कांग्रेस से हैं। तमिलनाडु के कन्याकुमारी निर्वाचन क्षेत्र से वसंतकुमार एच के पास कुल संपत्ति 417 करोड़ रुपये से अधिक है। बिहार के पूर्णिया निर्वाचन क्षेत्र से उदय सिंह के पास कुल संपत्ति 341 करोड़ रुपये से अधिक है और कर्नाटक के बैंगलोर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ रहे डीके सुरेश के पास कुल संपत्ति 338 करोड़ रुपये से अधिक है।

तीन सबसे अमीर उम्मीदवारों पर सबसे ज्यादा दायित्व भी हैं। वसंतकुमार के पास 154 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां हैं। सिंह की देनदारियां 71 करोड़ रुपये से अधिक हैं और सुरेश की 51 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है।

व्यक्तिगत धन के अनुसार लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के उम्मीदवार

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सबसे अधिक घोषित आय वाले शीर्ष तीन उम्मीदवार तमिलनाडु के कन्याकुमारी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के वसंतकुमार एच,कर्नाटक के हासन निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी की मंजू ए, और महाराष्ट्र के अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से बसपा के अरुण वानखड़े है।

वसंतकुमार के पास 28 करोड़ रुपये से अधिक की आय है और उन्होंने व्यवसाय को अपनी आय का स्रोत बताया है। मंजू के पास 12 करोड़ रुपये से अधिक की आय है और उन्होंने अपनी आय के स्रोत के रूप में स्वरोजगार का उल्लेख किया है। वानखड़े की आय 4 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हों कहा है कि उनकी आय संपत्ति व्यवसाय, परामर्श और ठेकेदारों से प्राप्त होती है।

सोलह उम्मीदवारों ने कोई संपत्ति घोषित नहीं की है। इनके बाद, महाराष्ट्र के सोलापुर निर्वाचन क्षेत्र से हिंदुस्तान जनता पार्टी के वेंकटेश्वर महास्वामी ने सबसे कम संपत्ति, 9 रु घोषित की है।

तमिलनाडु के मयिलादुथुराई निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवारों, राजेश पी और राजा एन ने 100-100 रुपये की संपत्ति घोषित की है।

आपराधिक मुकदमें

प्रमुख दलों में, आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों का उच्चतम अनुपात डीएमके से है, जिनके 46 फीसदी (24 में से 11) उम्मीदवार आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं है। 53 कांग्रेस उम्मीदवारों में से, 43 फीसदी (23) ने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की घोषणा की है। बीजेपी से 31 फीसदी ( 51 में से 16 ) और बीएसपी से 20 फीसदी ( 80 में से 16 ) ने ये घोषणा की है। अन्य दलों में, शिवसेना के उम्मीदवारों में से 36 फीसदी (11 में से 4) और AIADMK के 14 फीसदी (22 में से 3) उम्मीदवारों ने आपराधिक आरोपों की घोषणा की है। एडीआर के विश्लेषण के अनुसार, गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे तीन उम्मीदवारों ने घोषणा की है कि उन्हें अतीत में दोषी ठहराया गया है। छह ने घोषित किया है कि वे हत्या से संबंधित मामलों का सामना कर रहे हैं। 25 ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले, आठ अपहरण से संबंधित, 10 ने बताया कि उन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले हैं और 15 ने घृणास्पद भाषण से संबंधित मामले होने की घोषणा की हैं। 17 वीं लोकसभा चुनाव के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में, 17 फीसदी ने आपराधिक आरोपों का सामना किया, जिनमें से 12 फीसदी ने गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना किया है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 11 अप्रैल, 2019 की रिपोर्ट में बताया है।

आपराधिक आरोपों के अनुसार लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के उम्मीदवार

शैक्षिणिक योग्यता

1,590 उम्मीदवारों में से 697 (44 फीसदी) ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 5वीं और 12 वीं कक्षा के बीच होने की घोषणा की है। 756 (47 फीसदी) उम्मीदवारों के पास ग्रैजुएट की डिग्री या उससे ऊपर है, जिनमें से 29 उम्मीदवारों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है।

दूसरी ओर, 35 (2.2 फीसदी) उम्मीदवारों ने घोषणा की कि वे सिर्फ साक्षर हैं और 26 (1.6 फीसदी) ने बताया कि वे निरक्षर हैं।

शैक्षिक योग्यता के अनुसार, लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के उम्मीदवार

उम्र प्रोफाइल

1,590 उम्मीदवारों में से एक तिहाई (33 फीसदी) या 525, 25-40 वर्ष आयु वर्ग में हैं ।आधे से अधिक (51 फीसदी) या 805 उम्मीदवारों की आयु 41 से 60 वर्ष के बीच है, जैसा कि एडीआर द्वारा किए गए हलफनामों के विश्लेषण से पता चलता है। अन्य 246 (15 फीसदी) उम्मीदवार 61-80 वर्ष के बीच आयु वर्ग के हैं, जबकि सात उम्मीदवार 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं। छह उम्मीदवारों ने अपनी उम्र नहीं दी है और एक ने कहा कि वे 24 साल के हैं, जो कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए योग्य उम्र से कम है।

आयु वर्ग और जेंडर अनुसार लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के उम्मीदवार

जेंडर प्रोफाइल

1,590 उम्मीदवारों में से 1,470 (92.45 फीसदी) पुरुष और 120 (8 फीसदी) महिलाएं हैं, जबकि पहले चरण में 1,266 उम्मीदवारों में 1,177 (92.9 फीसदी) पुरुष और 89 (7 फीसदी) महिलाएं हैं। पहले चरण की तरह, उम्मीदवारों ने किसी अन्य जेंडर का उल्लेख नहीं किया है।

( अहमद इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 18 अप्रैल, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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